कोई अच्छा नज़र आ जाए तो इक बात भी है
यूँ तो पर्दे में सभी पर्दा-नशीं अच्छे हैं
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Gulzar
Jaun Eliya
Habib Jalib
Allama Iqbal
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(279) Peoples Rate This
मेरे अरमाँ वो सुधारे यूँ के यूंहीं रह गए
उन्हों ने क्या न किया और क्या नहीं करते
लड़ाई है तो अच्छा रात-भर यूँ ही बसर कर लो
तरीक़ याद है पहले से दिल लगाने का
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे
वो क़ुदरत के नमूने क्या हुए जो उस में पहले थे
लुत्फ़-ए-क़ुर्बत है मय-परस्ती में
इक पर्दा-नशीं की आरज़ू है
रुख़ किसी का नज़र नहीं आता
इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता
वफ़ा क्या कर नहीं सकते हैं वो लेकिन नहीं करते
जितने बुत हैं मैं सब पे मरता हूँ