इलाज-ए-दर्द-ए-दिल तुम से मसीहा हो नहीं सकता
तुम अच्छा कर नहीं सकते मैं अच्छा हो नहीं सकता
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Gulzar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(304) Peoples Rate This
दम-ए-ख़्वाब-ए-राहत बुलाया उन्हों ने तो दर्द-ए-निहाँ की कहानी कहूँगा
पहले हम में थे और अब हम से जुदा रहते हैं
आरज़ू दिल में बनाए हुए घर है भी तो क्या
ग़ुरूर-ए-उल्फ़त की तर्ज़-ए-नाज़िश अजब करिश्मे दिखा रही है
वहाँ जा कर किए हैं मैं ने सज्दे अपनी हस्ती को
एक हम हैं कि जहाँ जाएँ बुरे कहलाएँ
ये नक़्शा है कि मुँह तकने लगा है मुद्दआ' मेरा
क़ैस ने पर्दा-ए-महमिल को जो देखा तो कहा
दिल ले के हसीनों ने ये दस्तूर निकाला
उम्र सब ज़ौक़-ए-तमाशा में गुज़ारी लेकिन
हम से अच्छा नहीं मिलने का अगर तुम चाहो
काबे में हम ने जा के कुछ और हाल देखा