कोई ले ले तो दिल देने को मैं तय्यार बैठा हूँ
कोई माँगे तो अपनी जान तक क़ुर्बान करता हूँ
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Gulzar
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Rahat Indori
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(241) Peoples Rate This
बुत-कदे में तो तुझे देख लिया करता था
आप से मुझ को मोहब्बत जो नहीं है न सही
ज़ुल्फ़ को क्यूँ जकड़ के बाँधा है
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे
हाल-ए-दिल अग़्यार से कहना पड़ा
मेरा दिल-ए-'मुज़्तर' बुत-ए-काफ़िर से लगा है
सदमा बुत-ए-काफ़िर की मोहब्बत का न पूछो
जिए जाते हैं पस्ती में तिरे सारे जहाँ वाले
किसी के कम हैं किसी के बहुत मगर ज़ाहिद
वो कहते हैं ये सारी बेवफ़ाई है मोहब्बत की
न उस के दामन से मैं ही उलझा न मेरे दामन से ये ही अटकी
जफ़ा से वफ़ा मुस्तरद हो गई