मोहब्बत का असर फिर देखना मरने तो दो मुझ को
वो मेरे साथ ज़िंदा दफ़न हो जाएँ अजब क्या है
Gulzar
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जिए जाते हैं पस्ती में तिरे सारे जहाँ वाले
ख़ूब इस दिल पे तिरी आँख ने डोरे डाले
माइल-ए-सोहबत-ए-अग़्यार तो हम हैं तुम कौन
जान देना नहीं किसे मंज़ूर
ये नक़्शा है कि मुँह तकने लगा है मुद्दआ' मेरा
नहीं हूँ मैं तो तिरी बंदगी के क्या मा'नी
वो गले से लिपट के सोते हैं
अगर तुम दिल हमारा ले के पछताए तो रहने दो
दिल उन को मुफ़्त देने में दुश्मन को रश्क क्यूँ
इतने अच्छे हो कि बस तौबा भली
ज़ाहिद तो बख़्शे जाएँ गुनहगार मुँह तकें
बाज़ू पे रख के सर जो वो कल रात सो गया