मोहब्बत में किसी ने सर पटकने का सबब पूछा
तो कह दूँगा कि अपनी मुश्किलें आसान करता हूँ
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Gulzar
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(288) Peoples Rate This
जितने बुत हैं मैं सब पे मरता हूँ
नमक-पाश ज़ख़्म-ए-जिगर अब तो आ जा
किसी का जल्वा-ए-रंगीं ये कहता है इन्हें पूजो
फूंके देता है किसी का सोज़-ए-पिन्हानी मुझे
मोहब्बत बा'इस-ए-ना-मेहरबानी होती जाती है
जान देना नहीं किसे मंज़ूर
न बुलवाया न आए रोज़ वा'दा कर के दिन काटे
निगाह-ए-यार मिल जाती तो हम शागिर्द हो जाते
जगाने चुटकियाँ लेने सताने कौन आता है
कोई ले ले तो दिल देने को मैं तय्यार बैठा हूँ
क़ब्र पर क्या हुआ जो मेला है
रवाँ रहता है किस की मौज में दिन रात तू पानी