वक़्त-ए-आख़िर क़ज़ा से बिगड़ेगी
आप उस वक़्त में करम न करें
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Anwar Masood
Rahat Indori
Habib Jalib
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
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इक हम कि हम को सुब्ह से है शाम की ख़ुशी
हौसला इम्तिहान से निकला
यही सूरत वहाँ थी बे-ज़रूरत बुत-कदा छोड़ा
अदू को छोड़ दो फिर जान भी माँगो तो हाज़िर है
हसरतों को कोई कहाँ रक्खे
ऐ बुतो रंज के साथी हो न आराम के तुम
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझे
जब कहा मैं हूँ तिरे इश्क़ में बदनाम कि तू
साक़ी ने लगी दिल की इस तरह बुझा दी थी
वो क़ुदरत के नमूने क्या हुए जो उस में पहले थे
दम दे दिया है किस रुख़-ए-रौशन की याद में
क़यामत में बड़ी गर्मी पड़ेगी हज़रत-ए-ज़ाहिद