इश्क़ का दूर करे दिल से जो धड़का तावीज़
इस धड़ाके का कोई हम ने न देखा तावीज़
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हम देख के तुम से रुख़-ए-आराम मियाँ
देख अक़्द-ए-सुरय्या हमें अंगूर की सूझी
अब तो ज़रा सा गाँव भी बेटी न दे उसे
रोटियाँ
मुझे इस झमक से आया नज़र इक निगार-ए-रा'ना
हम उस की जफ़ा से जी में हो कर दिल-गीर
नासेह न सुना सुख़न मुझे जिस-तिस के
ग़रज़ न सर की ख़बर थी न पा का होश 'नज़ीर'
कुछ तो हो कर दू-बदू कुछ डरते डरते कह दिया
क्या अदा किया नाज़ है क्या आन है
नहीं याँ बैठते जो एक दम तुम
साक़ी से जो हम ने मय का इक जाम लिया