आईना जो हाथ उस के ने ता-देर लिया
इस देर से ख़जलत ने हमें घेर लिया
जब हम ने कहा क्या यही आशिक़ है मियाँ
ये सुनते ही आईने से मुँह फेर लिया
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Wasi Shah
Gulzar
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(744) Peoples Rate This
सनम के कूचे में छुप के जाना अगरचे यूँ है ख़याल दिल का
चाह में उस की दिल ने हमारे नाम को छोड़ा नाम किया
हम हाल तो कह सकते हैं अपना प कहें क्या
दीवानगी मेरी के तहय्युर में शब-ओ-रोज़
कितना तनिक सफ़ा है कि पा-ए-निगाह का
उस शोख़ को हम ने जिस घड़ी जा देखा
कुलाल-ए-गर्दूं अगर जहाँ में जो ख़ाक मेरी का जाम करता
था इरादा तिरी फ़रियाद करें हाकिम से
राखी
ना-ख़ुश दिखा के जिस को नाज़-ओ-इताब कीजे
मय पी के जो गिरता है तो लेते हैं उसे थाम
कहते हैं जिस को 'नज़ीर' सुनिए टुक उस का बयाँ