Coupletss of Nazeer Baaqri

Coupletss of Nazeer Baaqri
नामनज़ीर बाक़री
अंग्रेज़ी नामNazeer Baaqri

ज़ख़्म कितने तिरी चाहत से मिले हैं मुझ को

ता उम्र फिर न होगी उजालों की आरज़ू

साथ चलना है तो फिर छोड़ दे सारी दुनिया

मैं ने दुनिया छोड़ दी लेकिन मिरा मुर्दा बदन

मैं एक ज़र्रा बुलंदी को छूने निकला था

किसी ने हाथ बढ़ाया है दोस्ती के लिए

ख़ूब गए परदेस कि अपने दीवार-ओ-दर भूल गए

खड़ा हूँ आज भी रोटी के चार हर्फ़ लिए

इस लिए चल न सका कोई भी ख़ंजर मुझ पर

अपनी आँखों के समुंदर में उतर जाने दे

आग दुनिया की लगाई हुई बुझ जाएगी

आ गया याद उन्हें अपने किसी ग़म का हिसाब

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