एक मज्ज़ूब उदासी मेरे अंदर गुम है
इस समुंदर में कोई और समुंदर गुम है
Gulzar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Jaun Eliya
Wasi Shah
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(463) Peoples Rate This
आना जाना है तो क़ामत से तुम आओ जाओ
ख़्वाब में या ख़याल में मुझे मिल
ज़मीं का बोझ और उस पर ये आसमान का बोझ
एक उजड़ी हुई हसरत है कि पागल हो कर
पेड़ सूखा हर्फ़ का और फ़ाख़ताएँ मर गईं
आईने को तोड़ा है तो मालूम हुआ है
लम्स को छोड़ के ख़ुशबू पे क़नाअ'त नहीं करने वाला
आँख सहमी हुई डरती हुई देखी गई है
तू ख़ुद अपनी मिसाल है वो तो है
मैं अपनी आँख को उस का जहान दे दूँ क्या
मैं सामने से उठा और लौ लरज़ने लगी