वो सवाल-ए-लुत्फ़ पर पत्थर न बरसाएँ तो क्यूँ
उन को परवा-ए-शिकस्त-ए-कासा-ए-साइल नहीं
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Gulzar
Wasi Shah
Habib Jalib
Jaun Eliya
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
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आँख तुम्हारी मस्त भी है और मस्ती का पैमाना भी
दश्त में क़ैस नहीं कोह पे फ़रहाद नहीं
फिर रह-ए-इश्क़ वही ज़ाद-ए-सफ़र माँगे है
दिल की बर्बादियों का रोना क्या
आओ इक सज्दा करूँ आलम-ए-बद-सम्ती में
नदीम-ए-दर्द-ए-मोहब्बत बड़ा सहारा है
रातों को तसव्वुर है उन का और चुपके चुपके रोना है
हैरत से तक रहा है जहान-ए-वफ़ा मुझे
जो रहीन-ए-तग़य्युरात नहीं
नग़्मे हवा ने छेड़े फ़ितरत की बाँसुरी में
पनघट की रानी
सदियों की शब-ए-ग़म को सहर हम ने बनाया