हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Jaun Eliya
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Anwar Masood
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Gulzar
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
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तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडो
अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
न तो ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए
तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा
जान-ए-तन्हा पे गुज़र जाएँ हज़ारों सदमे
एक मुलाक़ात
बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा
अब वो करम करें कि सितम मैं नशे में हूँ
अहल-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं
आज की रात मुरादों की बरात आई है
ख़ुद-कुशी से पहले
मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़