मिट्टी का ही घर न होगा बर्बाद
मिट्टी तिरे तन का घर भी होगा
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Gulzar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(455) Peoples Rate This
जिस इल्म से अच्छों की हो ख़ूबी ज़ाहिर
ग़ैरत में सियासत में शुजाअ'त में हो मर्द
कहाँ नसीब ज़मुर्रद को सुर्ख़-रूई ये
लाज़िम नहीं इस दौलत-ए-फ़ानी पे दिमाग़
'शहबाज़' में ऐब ही नहीं कुल
तालीम की मीज़ान में हैं तुलते जाते
दिल तो दिल अफ़ई-ए-गेसू वो बला है काफ़िर
है जिस की सरिश्त में सफ़ाहत का मैल
तन ऐश का घर है इस का अस्बाब है रूह
है इश्क़ तो फिर असर भी होगा
अंजाम ख़ुशी का दुनिया में सच कहते हो ग़म होता है