ग़ैरत में सियासत में शुजाअ'त में हो मर्द
हिम्मत में मुरव्वत में इबादत में हो मर्द
लालच से शेख़त से तअ'ल्ली से हो दूर
इतना हो कोई तो क़ौम का हो हमदर्द
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Rahat Indori
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(706) Peoples Rate This
ईरानी फ़साहत और हिजाज़ी ग़ैरत
बूँद अश्कों से अगर लुत्फ़-ए-रवानी माँगे
मर्ग़ूब हो गर तुम को उमूमी शाबाश
अंजाम ख़ुशी का दुनिया में सच कहते हो ग़म होता है
मिट्टी का ही घर न होगा बर्बाद
है जिस की सरिश्त में सफ़ाहत का मैल
लाज़िम नहीं इस दौलत-ए-फ़ानी पे दिमाग़
'शहबाज़' में ऐब ही नहीं कुल
है इश्क़ तो फिर असर भी होगा
पाता नहीं मौत पर कोई शख़्स ज़फ़र
ख़ुदा ने मुँह में ज़बान दी है तो शुक्र ये है कि मुँह से बोलो