ईरानी फ़साहत और हिजाज़ी ग़ैरत
यूनानी बलाग़त और रूमी हिकमत
तुरकाना जलालत और चीनी सनअ'त
जिस क़ौम में आम हो है क़ौमी इज़्ज़त
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
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बूँद अश्कों से अगर लुत्फ़-ए-रवानी माँगे
'शहबाज़' में ऐब ही नहीं कुल
अख़्लाक़ के उंसुर हों अगर अस्ल मिज़ाज
शब-ए-फ़िराक़ का छाया हुआ है रोब ऐसा
है जिस की सरिश्त में सफ़ाहत का मैल
पाता नहीं मौत पर कोई शख़्स ज़फ़र
तालीम की मीज़ान में हैं तुलते जाते
कहाँ नसीब ज़मुर्रद को सुर्ख़-रूई ये
लाज़िम नहीं इस दौलत-ए-फ़ानी पे दिमाग़
जिस इल्म से अच्छों की हो ख़ूबी ज़ाहिर
मिट्टी का ही घर न होगा बर्बाद