इस से कि कहीं के शाह हो सकते हम
या इस से कि कज-कुलाह हो सकते हम
बेहतर था कि ख़ल्क़ की हिदायत के लिए
हर राह में शाहराह हो सकते हम
Habib Jalib
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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ईरानी फ़साहत और हिजाज़ी ग़ैरत
तालीम की मीज़ान में हैं तुलते जाते
शब-ए-फ़िराक़ का छाया हुआ है रोब ऐसा
पाता नहीं मौत पर कोई शख़्स ज़फ़र
अंजाम ख़ुशी का दुनिया में सच कहते हो ग़म होता है
'शहबाज़' में ऐब ही नहीं कुल
अख़्लाक़ के उंसुर हों अगर अस्ल मिज़ाज
कहते हो कि कर लेंगे हम इस काम को कल
ख़ुदा ने मुँह में ज़बान दी है तो शुक्र ये है कि मुँह से बोलो
है इश्क़ तो फिर असर भी होगा
दौलत के भरोसे पे न होना ग़ाफ़िल
कहाँ नसीब ज़मुर्रद को सुर्ख़-रूई ये