बहुत शोर था जब समाअ'त गई
बहुत भीड़ थी जब अकेले हुए
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पल भर में कैसे लोग बदल जाते हैं यहाँ
अब जी के बहलने की है एक यही सूरत
एक काली नज़्म
दिल चीज़ क्या है आप मिरी जान लीजिए
दरिया-ए-ख़ूँ
शम-ए-दिल शम-ए-तमन्ना न जला मान भी जा
हर तरफ़ अपने को बिखरा पाओगे
पिछले सफ़र में जो कुछ बीता बीत गया यारो लेकिन
तिरा ख़याल भी तेरी तरह सितमगर है
गुलाब टहनी से टूटा ज़मीन पर न गिरा
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
मा'बद-ए-ज़ीस्त में बुत की मिसाल जड़े होंगे