बस एक लम्हे में क्या कुछ गुज़र गई दिल पर
बहाल होते हुए हम ने एक ज़माना लिया
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शब ढल गई और शहर में सूरज निकल आया
नींद आती है अगर जलती हुई आँखों में
ये चाँद ही तिरी झोली में आ पड़े शायद
आगे निकल गए वो मुझे देखते हुए
यार होते तो मुझे मुँह पे बुरा कह देते
नक़्श-ए-हैरत बन गई दुनिया सितारों की तरह
प्यार के रंग-महल बरसों में तय्यार हुए
मंज़िल है कठिन दिल बहुत आराम-तलब है
शौक़-ए-सफ़र बे-सबब और सफ़र बे-तलब
ये अलग बात ज़बाँ साथ न दे पाएगी
सोता जागता साया
तू कुछ भी हो कब तक तुझे हम याद करेंगे