इमदाद अली बहर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का इमदाद अली बहर (page 3)
नाम | इमदाद अली बहर |
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अंग्रेज़ी नाम | Imdad Ali Bahr |
मौत की तिथि | 1878 |
जन्म स्थान | Lucknow |
ग़ज़ब है देखने में अच्छी सूरत आ ही जाती है
गया सब अंदोह अपने दिल का थमे अब आँसू क़रार आया
गर्दिश-ए-चर्ख़ से क़याम नहीं
फ़ुर्क़त की आफ़त बुरे दिन काटना साल है
दुपट्टा वो गुलनार दिखला गए
दोस्तो दिल कहीं ज़िन्हार न आने पाए
दम-ए-मर्ग बालीं पर आया तो होता
दाग़ बैआ'ना हुस्न का न हुआ
चूर सदमों से हो बईद नहीं
चुनने न दिया एक मुझे लाख झड़े फूल
चार दिन है ये जवानी न बहुत जोश में आ
बुतो ख़ुदा पे न रक्खो मोआ'मला दिल का
बोलिए करता हूँ मिन्नत आप की
बशर रोज़-ए-अज़ल से शेफ़्ता है शान-ओ-शौकत का
बग़ैर यार गवारा नहीं कबाब शराब
बद-तालई का इलाज क्या हो
ऐसी कोयल न पपीहे की है प्यारी आवाज़
ऐसे पुर-नूर-ओ-ज़िया यार के रुख़्सारे हैं
अब मरना है अपने ख़ुशी है जीने से बे-ज़ारी है
आज़ुर्दा हो गया वो ख़रीदार बे-सबब
आतिश-ए-बाग़ ऐसी भड़की है कि जलती है हवा
आतिश-ए-बाग़ ऐसे भड़की है कि जलती है हवा
आश्ना कोई बा-वफ़ा न मिला
आरास्तगी बड़ी जिला है
आहों से होंगे गुम्बद-ए-हफ़्त-आसमाँ ख़राब
आबला ख़ार-ए-सर-ए-मिज़्गाँ ने फोड़ा साँप का