पूछता क्या है हम-नशीं मुझ से
कस लिए ज़ब्त-ए-आह करता हूँ
कह तो दूँ तुझ से हाल-ए-दिल अपना
तेरी ग़म-ख़्वारियों से डरता हूँ
Habib Jalib
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Gulzar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(824) Peoples Rate This
जवानी के ज़माने याद आए
आज कुछ मुज़्महिल सी यादों के
औरों की मोहब्बत के दोहराए हैं अफ़्साने
वफ़ा की आख़िरी मंज़िल भी आ रही है क़रीब
ख़ुद-कुशी
सायों से लिपट रहे थे साए
हर दर्द को कर लिया गवारा मैं ने
काविश-ए-बेश-ओ-कम की बात न कर
जाने किस की थी ख़ता याद नहीं
वो वुसअतें थीं दिल में जो चाहा बना लिया
वो थे पहलू में और थी चाँदनी रात
कौन किस का ग़म खाए कौन किस को बहलाए