'तनवीर' अब तू हल्क़ से भोंपू का काम ले
बहरे हुए हैं कान मशीनों के शोर से
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हम हिज़्ब-ए-इख़्तिलाफ़ में भी मोहतरम हुए
अब तक मिरे आ'साब पे मेहनत है मुसल्लत
जो कर रहा है दूसरों के ज़ेहन का इलाज
मिल मालिक के कुत्ते भी चर्बीले हैं
औरत को समझता था जो मर्दों का खिलौना
आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मिरा जिस्म
छत की कड़ियाँ जाँच ले दीवार-ओ-दर को देख ले
दिहात के वजूद को क़स्बा निगल गया
तेरी तो आन बढ़ गई मुझ को नवाज़ कर
कभी अपने वसाएल से न बढ़ कर ख़्वाहिशें पालो