दर्द अपना कुछ और है दवा है कुछ और
टूटे हुए दिल का आसरा है कुछ और
ऐसे वैसे ख़ुदा तो बहुतेरे हैं
मैं बंदा हूँ जिस का वो ख़ुदा है कुछ और
Gulzar
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(865) Peoples Rate This
आँख दिखलाने लगा है वो फ़ुसूँ-साज़ मुझे
'यगाना' वही फ़ातेह-ए-लखनऊ हैं
दिल लगाने की जगह आलम-ए-ईजाद नहीं
सब्र करना सख़्त मुश्किल है तड़पना सहल है
मौजों से लिपट के पार उतरने वाले
बादल को लगी खिलते बरसते कुछ देर
देखे हैं बहुत चमन उजड़ते बस्ते
सलामत रहें दिल में घर करने वाले
मुफ़्लिस को मज़ा ज़ीस्त का चखने न दिया
हाथ उलझा है गरेबाँ में तो घबराओ न 'यास'
दुनिया में रह के रास्त-बाज़ी कब तक
अरमान निकलने का मज़ा है कुछ और