माह-ओ-अंजुम के सर्द होंटों पर
हम-नशीं तज़्किरा है सदियों का
जाम उठा और दिल को ज़िंदा रख
आसमाँ मक़बरा है सदियों का
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Habib Jalib
Gulzar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Wasi Shah
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
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साक़ी तुझे इक थोड़ी सी तकलीफ़ तो होगी
हम को शाहों की अदालत से तवक़्क़ो' तो नहीं
तुम्हारे हुस्न को मेरी नज़र लगी है ज़रूर
ज़ख़्म दिल के अगर सिए होते
ज़िंदगी है कि इक हसीन सज़ा
हुस्न इक दिलरुबा हुकूमत है
तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया
मुद्दआ दूर तक गया लेकिन
ये रोज़-मर्रा के कुछ वाक़िआत-ए-शादी-ओ-ग़म
मुस्कुरा कर ख़िताब करते हो
ज़िंदगी है इक किराए की ख़ुशी
कौन अंगड़ाई ले रहा है 'अदम'