तू किस के कमरे में थी
मैं तेरे कमरे में था
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Habib Jalib
Javed Akhtar
Gulzar
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(786) Peoples Rate This
फिर किसी ख़्वाब के पर्दे से पुकारा जाऊँ
हम्माम के आईने में शब डूब रही थी
इबलाग़ के बदन में तजस्सुस का सिलसिला
गोश्त की सड़कों पर
दरवाज़ा खटखटा के सितारे चले गए
तंग तारीक गली में कुत्ता
हर ख़्वाब काली रात के साँचे में ढाल कर
चारों तरफ़ से मौत ने घेरा है ज़ीस्त को
सितारा सो गया है
जिस्म की मिट्टी न ले जाए बहा कर साथ में
उँगली से उस के जिस्म पे लिक्खा उसी का नाम
कब से टहल रहे हैं गरेबान खोल कर