कुछ और तरह की मुश्किल में डालने के लिए
मैं अपनी ज़िंदगी आसान करने वाला हूँ
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
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Rahat Indori
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
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वो सर से पाँव तक है ग़ज़ब से भरा हुआ
हर फूल है हवाओं के रुख़ पर खिला हुआ
लोग किस किस तरह से ज़िंदा हैं
फ़सील-ए-शहर-ए-तमन्ना में दर बनाते हुए
पते की बात भी मुँह से निकल ही जाती है
ज़रा जो फ़ुर्सत-ए-नज़्ज़ारगी मयस्सर हो
हाल हमारा पूछने वाले
वक़्त की वहशी हवा क्या क्या उड़ा कर ले गई
दुनिया से अलैहदगी का रास्ता
ये जब्र भी है बहुत इख़्तियार करते हुए
किन मंज़रों में मुझ को महकना था 'आफ़्ताब'
वो शोर होता है ख़्वाबों में 'आफ़्ताब' 'हुसैन'