Sad Poetry of Ahmad Sagheer Siddiqui
नाम | अहमद सग़ीर सिद्दीक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ahmad Sagheer Siddiqui |
ज़ख़्म इतने हैं बदन पर कि कहीं दर्द नहीं
ये क्या कि आशिक़ी में भी फ़िक्र-ए-ज़ियाँ रहे
कुछ देर में ये दिल किसी गिनती में न होगा
कोई तस्वीर बना ले कि तुझे याद रहें
कहाँ मैं और कहाँ गोशा-नशीनी का ये एलान
चाहे हैं तमाशा मिरे अंदर कई मौसम
हैं शाख़ शाख़ परेशाँ तमाम घर मेरे
इक ख़्वाब है ये प्यास भी दरिया भी ख़्वाब है
इक जिस्म हैं कि सर से जुदा होने वाले हैं