कोई तस्वीर बना ले कि तुझे याद रहें
तेज़ चलती है हवा रंग उड़े जाते हैं
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कभी न बदले दिल-ए-बा-सफ़ा के तौर-तरीक़
ये क्या कि आशिक़ी में भी फ़िक्र-ए-ज़ियाँ रहे
आसमाँ-ज़ाद ज़मीनों पे कहीं नाचते हैं
कुछ देर में ये दिल किसी गिनती में न होगा
इक ख़्वाब है ये प्यास भी दरिया भी ख़्वाब है
कब से मैं सफ़र में हूँ मगर ये नहीं मा'लूम
ख़ुद अपनी ज़ात से इक मुक़तदी निकालता हूँ
खोलीं वो दर किसी ने भी खोला न हो जिसे
ये न देखो कि मिरे ज़ख़्म बहुत कारी हैं
जी-भर के सितारे जगमगाएँ
ज़ख़्म इतने हैं बदन पर कि कहीं दर्द नहीं
इक जिस्म हैं कि सर से जुदा होने वाले हैं