दामन झटक के वादी-ए-ग़म से गुज़र गया
उठ उठ के देखती रही गर्द-ए-सफ़र मुझे
Rahat Indori
Jaun Eliya
Wasi Shah
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1484) Peoples Rate This
कमी कमी सी थी कुछ रंग-ओ-बू-ए-गुलशन में
शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो
आ तेरे होंट चूम लूँ ऐ मुज़्दा-ए-नजात
बम्बई
मिरे अज़ीज़ो, मिरे रफ़ीक़ो
इश्क़ इक जिंस-ए-गिराँ-माया है इक दौलत है
प्यास की आग
तुम नहीं आए थे जब
इश्क़ का नग़्मा जुनूँ के साज़ पर गाते हैं हम
शीशा-ए-दिल को अगर ठेस कोई लगती है
अता हुई है मिरे दिल की सल्तनत तुझ को
अब भी रौशन हैं