तुम ऐसे कौन ख़ुदा हो कि उम्र भर तुम से
उमीद भी न रखूँ ना-उमीद भी न रहूँ
Parveen Shakir
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
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Gulzar
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मुख़ालिफ़त का जवाब ख़ामोशी से बेहतर नहीं
कोई महरम नहीं मिलता जहाँ में
दिल से ख़याल-ए-दोस्त भुलाया न जाएगा
आसार-ए-ज़वाल
उस के जाते ही ये क्या हो गई घर की सूरत
वो उम्मीद क्या जिस की हो इंतिहा
शहद-ओ-शकर से शीरीं उर्दू ज़बाँ हमारी
क़ैस हो कोहकन हो या 'हाली'
है जुस्तुजू कि ख़ूब से है ख़ूब-तर कहाँ
मौजूदा तरक़्क़ी का अंजाम
मेडिकल टेस्ट
यही है इबादत यही दीन ओ ईमाँ