Sad Poetry of Asad Badayuni

Sad Poetry of Asad Badayuni
नामअसअ'द बदायुनी
अंग्रेज़ी नामAsad Badayuni
जन्म की तारीख1952
मौत की तिथि2003
जन्म स्थानAligarh

पुराने घर की शिकस्ता छतों से उकता कर

परिंद पेड़ से परवाज़ करते जाते हैं

परिंद क्यूँ मिरी शाख़ों से ख़ौफ़ खाते हैं

मिरे बदन पे ज़मानों की ज़ंग है लेकिन

जिसे पढ़ते तो याद आता था तेरा फूल सा चेहरा

जिसे न मेरी उदासी का कुछ ख़याल आया

बिछड़ के तुझ से किसी दूसरे पे मरना है

ये जो शाम ज़र-निगार है

तल्ख़ियाँ

जो लोग रातों को जागते थे

हम अहल-ए-ख़ौफ़

एक नज़्म

यही नहीं कि मिरा घर बदलता जाता है

वो एक नाम जो दरिया भी है किनारा भी

वक़्त इक दरिया है दरिया सब बहा ले जाएगा

उस अब्र से भी क़बाहत ज़ियादा होती है

सुख़न-वरी का बहाना बनाता रहता हूँ

शाख़ से फूल से क्या उस का पता पूछती है

सैल-ए-गिर्या का सीने से रिश्ता बहुत

सच बोल के बचने की रिवायत नहीं कोई

रास्ता कोई सफ़र कोई मसाफ़त कोई

पोशीदा क्यूँ है तूर पे जल्वा दिखा के देख

मुझे भी वहशत-ए-सहरा पुकार मैं भी हूँ

मिरी अना मिरे दुश्मन को ताज़ियाना है

मिरे लोग ख़ेमा-ए-सब्र में मिरे शहर गर्द-ए-मलाल में

मौसम-ए-हिज्र तो दाइम है न रुख़्सत होगा

ख़ुशी भी अब सरापा ग़म लगे है

कहते हैं लोग शहर तो ये भी ख़ुदा का है

जो अक्स-ए-यार तह-ए-आब देख सकते हैं

जिसे न मेरी उदासी का कुछ ख़याल आया

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