होंटों को फूल आँख को बादा नहीं कहा
तुझको तिरी अदा से ज़ियादा नहीं कहा
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मिस्र फ़िरऔन की तहवील में आया हुआ है
मैं इंहिमाक में ये किस मक़ाम तक पहुँचा
माना किसी ज़ालिम की हिमायत नहीं करते
है मुस्तक़िल यही एहसास कुछ कमी सी है
सामने रह कर न होना मसअला मेरा भी है
वक़्त बे-वक़्त ये पोशाक मिरी ताक में है
किसी भी काम में लगता नहीं है दिल मेरा
तेज़ इतना ही अगर चलना है तन्हा जाओ तुम
लोग कहते हैं कि वो शख़्स है ख़ुशबू जैसा
मकाँ से दूर कहीं ला-मकाँ से होता है
ज़ाविया धूप ने कुछ ऐसा बनाया है कि हम