हारे हुए लोगों की कहानी की तरह हैं
हम लोग भी बहते हुए पानी की तरह हैं
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Javed Akhtar
Wasi Shah
Gulzar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(882) Peoples Rate This
पीरी नहीं चलती कि फ़क़ीरी नहीं चलती
दुनिया के लिए ज़हर न खालें कोई हम भी
ये ख़ज़ाने का कोई साँप बना होता है
न हाथ सूख के झड़ते हैं जिस्म से अपने
क़ुबूल होती हुई बद-दुआ से डरते हैं
कमाँ न तीर न तलवार अपनी होती है
एड़ियाँ मार के ज़ख़्मी भी हुए लोग मगर
किसी के नाम पे नन्हे दिए जलाते हुए
माँगना ख़्वाहिश-ए-दीदार से आगे क्या है
तुम मोहब्बत का उसे नाम भी दे लो लेकिन
सफ़र के ब'अद भी सफ़र का एहतिमाम कर रहा हूँ मैं