अम्बर बहराईची कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अम्बर बहराईची
नाम | अम्बर बहराईची |
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अंग्रेज़ी नाम | Ambar Bahraichi |
जन्म स्थान | Lucknow |
ये सच है रंग बदलता था वो हर इक लम्हा
उस ने हर ज़र्रे को तिलिस्म-आबाद किया
सूप के दाने कबूतर चुग रहा था और वो
रोज़ हम जलती हुई रेत पे चलते ही न थे
मेरा कर्ब मिरी तन्हाई की ज़ीनत
जाने क्या सोच के फिर इन को रिहाई दे दी
जाने क्या बरसा था रात चराग़ों से
जान देने का हुनर हर शख़्स को आता नहीं
हम पी भी गए और सलामत भी हैं 'अम्बर'
हर फूल पे उस शख़्स को पत्थर थे चलाने
हर इक नदी से कड़ी प्यास ले के वो गुज़रा
गए थे हम भी बहर की तहों में झूमते हुए
इक शफ़्फ़ाफ़ तबीअत वाला सहराई
एक सन्नाटा बिछा है इस जहाँ में हर तरफ़
एक साहिर कभी गुज़रा था इधर से 'अम्बर'
चेहरों पे ज़र-पोश अंधेरे फैले हैं
बाहर सारे मैदाँ जीत चुका था वो
आम के पेड़ों के सारे फल सुनहरे हो गए
युधिष्ठिर
सूखी टहनी पर हरियल
मुझे ख़बर है मुझे यक़ीं है
इम्बिसात-ए-अज़ली
हम ख़्वाब-ज़दा
गुलाबी चोंच
एक रियाज़त ये भी
धनक
वो लम्हा मुझ को शश्दर कर गया था
शब ख़्वाब के जज़ीरों में हँस कर गुज़र गई
मिरे चेहरे पे जो आँसू गिरा था
मैं अपनी वुसअतों को उस गली में भूल जाता हूँ