Heart Broken Poetry of Ambar Bahraichi

Heart Broken Poetry of Ambar Bahraichi
नामअम्बर बहराईची
अंग्रेज़ी नामAmbar Bahraichi
जन्म स्थानLucknow

मेरा कर्ब मिरी तन्हाई की ज़ीनत

हर फूल पे उस शख़्स को पत्थर थे चलाने

गए थे हम भी बहर की तहों में झूमते हुए

एक सन्नाटा बिछा है इस जहाँ में हर तरफ़

बाहर सारे मैदाँ जीत चुका था वो

इम्बिसात-ए-अज़ली

हम ख़्वाब-ज़दा

गुलाबी चोंच

एक रियाज़त ये भी

धनक

वो लम्हा मुझ को शश्दर कर गया था

शब ख़्वाब के जज़ीरों में हँस कर गुज़र गई

मिरे चेहरे पे जो आँसू गिरा था

मैं अपनी वुसअतों को उस गली में भूल जाता हूँ

क्यूँ न हों शाद कि हम राहगुज़र में हैं अभी

जलते हुए जंगल से गुज़रना था हमें भी

हर लम्हा सैराबी की अर्ज़ानी है

गीली मिट्टी हाथ में ले कर बैठा हूँ

दरवाज़ा वा कर के रोज़ निकलता था

चेहरों पे ज़र-पोश अंधेरे फैले हैं

बुरीदा बाज़ुओं में वो परिंद लाला-बार था

आज फिर धूप की शिद्दत ने बड़ा काम किया

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