Sad Poetry of Habeeb Ahmad Siddiqui
नाम | हबीब अहमद सिद्दीक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Habeeb Ahmad Siddiqui |
जन्म की तारीख | 1908 |
कविताएं
Ghazal 12
Couplets 35
Love 23
Sad 19
Heart Broken 18
Bewafa 5
Hope 19
Friendship 8
Islamic 4
ख्वाब 1
Sharab 4
वो करम हो कि सितम एक तअल्लुक़ है ज़रूर
वो भला कैसे बताए कि ग़म-ए-हिज्र है क्या
रानाई-ए-बहार पे थे सब फ़रेफ़्ता
मेरे लिए जीने का सहारा है अभी तक
मौत के ब'अद भी मरने पे न राज़ी होना
इज़हार-ए-ग़म किया था ब-उम्मीद-ए-इल्तिफ़ात
फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें
अब तो जो शय है मिरी नज़रों में है ना-पाएदार
ये ग़म नहीं है कि अब आह-ए-ना-रसा भी नहीं
वो दर्द-ए-इश्क़ जिस को हासिल-ए-ईमाँ भी कहते हैं
नवेद-ए-आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहार भी तो नहीं
न बेताबी न आशुफ़्ता-सरी है
मुझ को दिमाग़-ए-शेवन-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ नहीं
कुछ भी दुश्वार नहीं अज़्म-ए-जवाँ के आगे
ख़िज़ाँ-नसीब की हसरत ब-रू-ए-कार न हो
जबीं-ए-नवाज़ किसी की फ़ुसूँ-गरी क्यूँ है
फ़ैज़ पहुँचे हैं जो बहारों से
दुनिया को रू-शनास-ए-हक़ीक़त न कर सके
और ऐ चश्म-ए-तरब बादा-ए-गुलफ़ाम अभी