मार डाला तिरी आँखों ने हमें
शेर का काम हिरन करते हैं
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Gulzar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(787) Peoples Rate This
न दिया बोसा-ए-लब खा के क़सम भूल गए
करते हैं शौक़-ए-दीद में बातें हवा से हम
वहदहू-ला-शरीक की है क़सम
काफ़िर-ए-इश्क़ हूँ मुश्ताक़-ए-शहादत भी हूँ
बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है
दिल ले गई वो ज़ुल्फ़-ए-रसा काम कर गई
रातों को बुत बग़ल में हैं क़ुरआँ तमाम दिन
कूचे में जो उस शोख़-हसीं के न रहेंगे
कू-ए-क़ातिल में बसेगी नई दुनिया इक और
जो मेहंदी का बुटना मला कीजिएगा
फ़स्ल-ए-गुल आई तो क्या बे-सर-ओ-सामाँ हैं हम
ख़ूब-रूई पे है क्या नाज़ बुतान-ए-लंदन