देशभक्तिपूर्ण Poetry (page 11)
बहार है तिरे आरिज़ से लौ लगाए हुए
असर लखनवी
मीर-ए-महफ़िल न हुए गर्मी-ए-महफ़िल तो हुए
आरज़ू लखनवी
सब रंग वही ढंग वही नाज़ वही थे
अरशदुल क़ादरी
मुख़ालिफ़ों के जिलौ में वो आज शामिल था
अरशदुल क़ादरी
कभी जो उस की तमन्ना ज़रा बिफर जाए
अरशद कमाल
जीना है एक शग़्ल सो करते रहे हैं हम
अरशद काकवी
यगाना उन का बेगाना है बेगाना यगाना है
अरशद अली ख़ान क़लक़
वा'दा-ख़िलाफ़ कितने हैं ऐ रश्क-ए-माह आप
अरशद अली ख़ान क़लक़
तासीर जज़्ब मस्तों की हर हर ग़ज़ल में है
अरशद अली ख़ान क़लक़
मेरे प्यारे वतन
अर्श मलसियानी
मेरा वतन
अर्श मलसियानी
जश्न-ए-आज़ादी
अर्श मलसियानी
दीवाली
अर्श मलसियानी
15 अगस्त (1949)
अर्श मलसियानी
तुम्हारी याद तारी हो रही है
आरिफ़ इशतियाक़
आज की तारीख़ में इंसाँ मुकम्मल कौन है
आराधना प्रसाद
फैली है धूप जज़्बा-ए-इस्फ़ार देख कर
अक़ील जामिद
इस मरीज़-ए-ग़म-ए-ग़ुर्बत को सँभाला दे दो
अक़ील दानिश
पियो कि मा-हसल-ए-होश किस ने देखा है
अनवर शऊर
क्या होना मुमकिन है
अनवर सेन रॉय
इज़ाफ़ी ज़रूरतों के लिए एक नज़्म
अनवर सेन रॉय
आज़ादी के दीवाने
अनवर साबरी
निगाह-ओ-दिल से गुज़री दास्ताँ तक बात जा पहुँची
अनवर साबरी
देखा जो मर्ग तो मरना ज़ियाँ न था
अनवर देहलवी
हम बे-वतन ख़्वाबों के जोलाहे हैं
अंजुम सलीमी
बे-मसरफ़ रिश्तों की फ़राग़त
अंजुम सलीमी
वतन के लोग सताते थे जब वतन में थे
अंजुम मानपुरी
कार-ए-हुनर सँवारने वालों में आएगा
अंजुम ख़लीक़
लहजे का रस हँसी की धनक छोड़ कर गया
अंजुम इरफ़ानी
ज़ंजीर तो पैरों से थकन बाँधे हुए है
अंजुम बाराबंकवी