Sharab Poetry (page 53)
जुस्तुजू में कमाल करता जा
अजीत सिंह हसरत
वो जो फूल थे तिरी याद के तह-ए-दस्त-ए-ख़ार चले गए
अजय सहाब
वही हैं क़त्ल-ओ-ग़ारत और वही कोहराम है साक़ी
अजय सहाब
जब भी मिलते हैं तो जीने की दुआ देते हैं
अजय सहाब
तिरे जैसा मेरा भी हाल था न सुकून था न क़रार था
ऐतबार साजिद
तू ही इंसाफ़ से कह जिस का ख़फ़ा यार रहे
ऐश देहलवी
जुरअत ऐ दिल मय ओ मीना है वो ख़ुद-काम भी है
ऐश देहलवी
जिस दिल में तिरी ज़ुल्फ़ का सौदा नहीं होता
ऐश देहलवी
आशिक़ों को ऐ फ़लक देवेगा तू आज़ार क्या
ऐश देहलवी
सताइश न कीजिए तबर्रा सही
ऐनुद्दीन आज़िम
मुझी में जीता है सूरज तमाम होने तक
ऐनुद्दीन आज़िम
आवारा भटकता रहा पैग़ाम किसी का
ऐन ताबिश
साक़ी ओ वाइज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है
अहसन मारहरवी
साक़ी-ओ-वाइ'ज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है
अहसन मारहरवी
साक़ी-ओ-वाइ'ज़ में ज़िद है बादा-कश चक्कर में है
अहसन मारहरवी
मुझे ख़बर नहीं ग़म क्या है और ख़ुशी क्या है
अहसन मारहरवी
दिल को ब-नाम-ए-इश्क़ सजाना पड़ा हमें
अहमद निसार
ख़िदमत-ए-वतन
अहमक़ फफूँदवी
प्यार किया था तुम से मैं ने अब एहसान जताना क्या
अहमद ज़िया
म्यूजियम
अहमद ज़फ़र
ज़हर को मय न कहूँ मय को गवारा न कहूँ
अहमद ज़फ़र
यूँ ज़माने में मिरा जिस्म बिखर जाएगा
अहमद ज़फ़र
फूलों में एक रंग है आँखों के नीर का
अहमद शनास
साग़र क्यूँ ख़ाली है मिरा ऐ साक़ी तिरे मयख़ाने में
अहमद शाहिद ख़ाँ
जब तक ग़ुबार-ए-राह मिरा हम-सफ़र रहा
अहमद शाहिद ख़ाँ
ग़म के बादल हैं ये ढल जाएँगे रफ़्ता रफ़्ता
अहमद शाहिद ख़ाँ
क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले
अहमद राही
क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले
अहमद राही
गर्दिश-ए-जाम नहीं गर्दिश-ए-अय्याम तो है
अहमद राही
क़ानून-ए-क़ुदरत
अहमद नदीम क़ासमी