Sharab Poetry (page 54)
लज़्ज़त-ए-आगही
अहमद नदीम क़ासमी
दुआ
अहमद नदीम क़ासमी
लबों पे नर्म तबस्सुम रचा के धुल जाएँ
अहमद नदीम क़ासमी
अजब सुरूर मिला है मुझे दुआ कर के
अहमद नदीम क़ासमी
ले के हम-राह छलकते हुए पैमाने को
अहमद मुश्ताक़
उन आँखों में रंग-ए-मय नहीं है
अहमद महफ़ूज़
मैं रंग-ए-आसमाँ कर के सुनहरी छोड़ देता हूँ
अहमद कमाल परवाज़ी
शीराज़ की मय मर्व के याक़ूत सँभाले
अहमद जहाँगीर
तौबा खड़ी है दर पे जो फ़रियाद के लिए
अहमद हुसैन माइल
वो पारा हूँ मैं जो आग में हूँ वो बर्क़ हूँ जो सहाब में हूँ
अहमद हुसैन माइल
रू-ए-ताबाँ माँग मू-ए-सर धुआँ बत्ती चराग़
अहमद हुसैन माइल
महशर में चलते चलते करूँगा अदा नमाज़
अहमद हुसैन माइल
आफ़्ताब आए चमक कर जो सर-ए-जाम-ए-शराब
अहमद हुसैन माइल
पर्दा-ए-महमिल उठे तो राज़-ए-वीराना खुले
अहमद फ़रीद
शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग़ैरत-ए-मय-कशी रही
अहमद फ़राज़
साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले
अहमद फ़राज़
साक़ी ये ख़मोशी भी तो कुछ ग़ौर-तलब है
अहमद फ़राज़
मय-कदे में क्या तकल्लुफ़ मय-कशी में क्या हिजाब
अहमद फ़राज़
ग़म-ए-दुनिया भी ग़म-ए-यार में शामिल कर लो
अहमद फ़राज़
नामा-ए-जानाँ
अहमद फ़राज़
कर गए कूच कहाँ
अहमद फ़राज़
दोस्ती का हाथ
अहमद फ़राज़
ये बे-दिली है तो कश्ती से यार क्या उतरें
अहमद फ़राज़
उस ने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया
अहमद फ़राज़
तड़प उठूँ भी तो ज़ालिम तिरी दुहाई न दूँ
अहमद फ़राज़
साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले
अहमद फ़राज़
क़ुर्ब-ए-जानाँ का न मय-ख़ाने का मौसम आया
अहमद फ़राज़
क्यूँ न हम अहद-ए-रिफ़ाक़त को भुलाने लग जाएँ
अहमद फ़राज़
किसी जानिब से भी परचम न लहू का निकला
अहमद फ़राज़
कल हम ने बज़्म-ए-यार में क्या क्या शराब पी
अहमद फ़राज़