तमाशा करने वालों को ख़बर दी जा चुकी है
कि पर्दा कब गिरेगा कब तमाशा ख़त्म होगा
Wasi Shah
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Gulzar
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अबू-तालिब के बेटे
निरवान
वो जिस के नाम की निस्बत से रौशनी था वजूद
दर-ओ-दीवार इतने अजनबी क्यूँ लग रहे हैं
कूच
हरीम-ए-लफ़्ज़ में किस दर्जा बे-अदब निकला
मैं चुप रहा कि वज़ाहत से बात बढ़ जाती
बहुत मुश्किल ज़मानों में भी हम अहल-ए-मोहब्बत
ये नक़्श हम जो सर-ए-लौह-ए-जाँ बनाते हैं
कहानी में नए किरदार शामिल हो गए हैं
ये क़र्ज़-ए-कज-कुलही कब तलक अदा होगा
मैं ज़िंदगी की दुआ माँगने लगा हूँ बहुत