जो साहिब-ए-मक्रमत थे और दानिश-मंद
ईद-ए-रमज़ाँ है आज बा-ऐश-ओ-सुरूर
ऐ बे-ख़बरी की नींद सोने वालो
तेज़ी नहीं मिनजुमला-ए-औसाफ़-ए-कमाल
काठ की हंडिया चढ़ी कब बार बार
जब तक कि सबक़ मिलाप का याद रहा
दाल की फ़रियाद
बा-ईं हमा-सादगी है पुरकारी भी
शैतान करता है कब किसी को गुमराह
ख़ाक नमनाक और ताबिंदा नुजूम
गर्मी का मौसम
अहमद का मक़ाम है मक़ाम-ए-महमूद