ना-मुरादी के ब'अद बे-तलबी
अब है ऐसा सुकून जीने में
जैसे दरिया में हाथ लटकाए
सो गया हो कोई सफ़ीने में
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Wasi Shah
Javed Akhtar
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(813) Peoples Rate This
अपने आईना-ए-तमन्ना में
किस को मालूम था कि अहद-ए-वफ़ा
दूर वादी में ये नदी 'अख़्तर'
अब्र में छुप गया है आधा चाँद
चंद लम्हों को तेरे आने से
दोस्त! तुझ से अगर ख़फ़ा हूँ तो क्या
हुस्न का इत्र जिस्म का संदल
इक नई नज़्म कह रहा हूँ मैं
उफ़ ये उम्मीद-ओ-बीम का आलम
इस हसीं जाम में हैं ग़ल्तीदा
कर चुकी है मिरी मोहब्बत क्या
अंगड़ाई ये किस ने ली अदा से