थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
जाने वाले क़मर को रोके कोई
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
ममनूअ शजर से लुत्फ़-ए-पैहम लेने
ऐ ज़ाहिद-ए-हक़-शनास वाले आलिम-ए-दीं
औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
दिल रस्म के साँचे में न ढाला हम ने
इंसान की तबाहियों से क्यूँ हिले दिल-गीर
बरसात है दिल डस रहा है पानी