जाने वाले क़मर को रोके कोई
हर रंग में इबलीस सज़ा देता है
मुबहम पयाम
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
क़ानून नहीं कोई फ़ितरत के सिवा
ऐ ज़ाहिद-ए-हक़-शनास वाले आलिम-ए-दीं
थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब
इस दहर में इक नफ़्स का धोका हूँ मैं
क्या तब्ख़ मिलेगा गुल-फ़िशानी कर के
मफ़्लूज हर इस्तिलाह-ईमाँ कर दे
दिल रस्म के साँचे में न ढाला हम ने
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल