दम लिया था न क़यामत ने हनूज़
फिर तिरा वक़्त-ए-सफ़र याद आया
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Wasi Shah
Rahat Indori
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Habib Jalib
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2119) Peoples Rate This
छोड़ूँगा मैं न उस बुत-ए-काफ़िर का पूजना
इश्क़ तासीर से नौमीद नहीं
है पर-ए-सरहद-ए-इदराक से अपना मसजूद
कह सके कौन कि ये जल्वागरी किस की है
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
तू और आराइश-ए-ख़म-ए-काकुल
तू ने क़सम मय-कशी की खाई है 'ग़ालिब'
हुज़ूर-ए-शाह में अहल-ए-सुख़न की आज़माइश है
लाज़िम था कि देखो मिरा रस्ता कोई दिन और
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं
नाकामी-ए-निगाह है बर्क़-ए-नज़ारा-सोज़
क्यूँ गर्दिश-ए-मुदाम से घबरा न जाए दिल