क्या ज़रूरी है अब ये बताना मिरा
क्या ज़रूरी है अब ये बताना मिरा
टूटती शाख़ पर था ठिकाना मिरा
ग़म नहीं अब मिली हैं जो तन्हाइयाँ
अंजुमन अंजुमन था फ़साना मिरा
जो भी आया हदफ़ पर वो कब बच सका
चूकता ही नहीं था निशाना मिरा
इक ज़माना कभी था मिरा हम-नवा
तुम ने देखा कहाँ वो ज़माना मिरा
अर्ज़-ए-भोपाल से था तअल्लुक़ कभी
अब तो सब कुछ है ये लाड़काना मिरा
ना-तवानी पे मेरी जो हैं ख़ंदा-ज़न
इन को एल्बम पुराना दिखाना मिरा
मेरे जाने से बेहतर है 'मोहसिन' कभी
बज़्म-ए-शेर-ओ-सुख़न में न जाना मिरा
(770) Peoples Rate This