हाथ मलवाती हैं हूरों को तुम्हारी चूड़ियाँ

हाथ मलवाती हैं हूरों को तुम्हारी चूड़ियाँ

प्यारी प्यारी है कलाई प्यारी प्यारी चूड़ियाँ

बंद कर देती हैं सब को प्यारी प्यारी चूड़ियाँ

बोलती हैं लाख में बढ़ कर तुम्हारी चूड़ियाँ

ऐ बुतो सरकश अगर हो आतिश-ए-रंग-ए-हिना

शोला-ए-जव्वाला बन जाएँ तुम्हारी चूड़ियाँ

बरहमी हल्क़ा-बगोशों की उन्हें मंज़ूर है

फूट डलवाती हैं लाखों में तुम्हारी चूड़ियाँ

हूरों की आँखों के हल्क़े ऐ परी मौजूद हैं

इन बुतानों से चढ़ाओ प्यारी प्यारी चूड़ियाँ

दिल में छेद कर ख़ून की बूंदों से हर रेज़ा भरे

टूट कर बन जाएँ बूँदे की कटारी चूड़ियाँ

सर्व-क़ामत हैं हज़ारों दाम-ए-उल्फ़त में असीर

तौक़-ए-क़ुमरी हैं तुम्हारी प्यारी प्यारी चूड़ियाँ

सदक़े होती हैं बराबर उन कलाई पहुँचों पर

गिर्द फिरती हैं ख़ुशी से बारी बारी चूड़ियाँ

दस्त-ए-नाज़ुक ने ज़माने को किया हल्क़ा-ब-गोश

क्या खुले बंदों नज़र आईं तुम्हारी चूड़ियाँ

ऐ फ़लक उन को नहीं भाता सितारों का भी जोड़

कहते हैं मेरी बला पहने कुँवारी चूड़ियाँ

रू-ए-रौशन पर जो तुम ने हाथ रखा नाज़ से

चाँद का हाला नज़र आईं तुम्हारी चूड़ियाँ

हूरें भेजेंगी तुझे ऐ रश्क-ए-गुल फ़िरदौस से

लाएगी मश्शाता-ए-फ़स्ल-ए-बहारी चूड़ियाँ

क्यूँ न निकले नोक ख़ूँ-रेज़ी के हर अंदाज़ में

लौट कर भी दिल में चुभती हैं तुम्हारी चूड़ियाँ

बल निकाला सैकड़ों बाँकों का दस्त-ए-नाज़ से

बाँक के फ़न में हुईं यकता तुम्हारी चूड़ियाँ

ख़ून की बूँदें बनी हैं चुन्नियाँ याक़ूत की

दिल में चुभ कर दे रही हैं ज़ख़्म-ए-कारी चूड़ियाँ

क्यूँ न हों हल्क़ा-ब-गोश आ कर हसीनान-ए-बहिश्त

हूरों के कानों की बाली हैं तुम्हारी चूड़ियाँ

मैं ने हाथा-पाई जब की सर्द-मोहरे से कहा

गर्म-जोशी से हुईं ठंडी हमारी चूड़ियाँ

देख लो ऐ गुल-रुख़ो मुर्ग़ान-ए-दिल पाबंद हैं

बाल के फँदे की सूरत हैं तुम्हारी चूड़ियाँ

करते हैं अपने ज़बानों में तिरे हाथों का वस्फ़

बोलती हैं एक मुँह हो कर सितारी चूड़ियाँ

हर सितारे की चमक नूर-ए-जहान-ए-हुस्न है

रखती हैं हुक्म-ए-जहाँगीरी तुम्हारी चूड़ियाँ

जान पड़ जाती है दस्त-ए-नाज़ से हर चीज़ में

रंग बन कर चढ़ती हैं हाथों में सारी चूड़ियाँ

गो गुहर हो ऐ परी नाज़-ए-निगाह-ए-हूर का

ऐनक-ए-रिज़वाँ की हल्क़ा हैं तुम्हारी चूड़ियाँ

कर के हाथा-पाई डोली में किया उन को सवार

साफ़ ठंडी हो गईं वक़्त-ए-सवारी चूड़ियाँ

बूंदों के हल्क़े नहीं पड़ते हैं ऐ गुल नहर में

डालता है हिन्दु-ए-अबर-ए-बहारी चूड़ियाँ

ख़ून लाखों का किया करते हैं हर झंकार से

ख़ूब सच्चा जोड़ चलती हैं तुम्हारी चूड़ियाँ

ग़ैर डेवढ़ी पर किया करते हैं आराइश का ज़िक्र

हल्क़ा-ए-बैरून-ए-दर ठहरी तुम्हारी चूड़ियाँ

नाज़ से फ़रमाते हैं लूँ किस तरह तेरा सलाम

हाथ उठ सकते नहीं ऐसी हैं भारी चूड़ियाँ

उतरी पड़ती हैं फिसल कर दस्त-ए-नाज़ुक से मुदाम

किस तरह ठहरें कलाई में तुम्हारी चूड़ियाँ

मार डाला आतिश-ए-ग़म ने जला कर ऐ 'मुनीर'

ठंडी कर दीं सोग में उस गुल ने सारी चूड़ियाँ

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In Hindi By Famous Poet Muneer Shikohabadi. is written by Muneer Shikohabadi. Complete Poem in Hindi by Muneer Shikohabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.