भेज तो दी है ग़ज़ल देखिए ख़ुश हों कि न हों
कुछ खटकते हुए अल्फ़ाज़ नज़र आते हैं
Wasi Shah
Parveen Shakir
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Gulzar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(332) Peoples Rate This
पौ फटते ही 'रियाज़' जहाँ ख़ुल्द बन गया
दिल पुकारा फँस के कू-ए-यार में
मैं चुप कम रहा और रोया ज़ियादा
सुनते सुनते वाइ'ज़ों से हज्व-ए-मय
मुझे जब मार ही डाला तो अब दोनों बराबर हैं
जुनूँ होता है छा जाती है हैरत
नेक-ओ-बद की जिसे ख़बर ही नहीं
करेंगे ज़ुल्म दुनिया पर ये बुत और आसमाँ कब तक
अहल-ए-दुनिया बावले हैं बावलों की तू न सुन
हवा में जब उड़ा पर्दा तो इक बिजली सी कौंदी थी
न आया कर के व'अदा वस्ल का इक़रार था क्या था
वो ही आसान करेगा मिरी दुश्वारी को