मैं भी तलाश-ए-आब-ए-हवस में निकला हूँ
शोर सुना था इक चश्मे के उबलने का
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उस तरफ़ क्या है ये कुछ खुलता नहीं
घड़ी घड़ी न मुझे पूछ एक ताज़ा सवाल
एक अंगड़ाई से सारे शहर को नींद आ गई
ख़ुश्क हो जाए न झरने वाला
ये क्या गली है जहाँ डरते डरते जाते हैं
तबीबो चारागरो तुम से जो हुआ सो हुआ
ज़ात में कर्ब हो और कर्ब का इज़हार न हो
है इख़्तियार में तेरे न मेरे बस में है
मैं नज़र से एक अंदाज़-ए-नज़र होता हुआ
पागल हवा के दोश पे जिंस-ए-गिराँ न रख
सुब्ह-दम
दिल-ए-तबाह की ईज़ा-परस्तियाँ मालूम