फैल रहे हैं वक़्त के साए
फैल रहे हैं वक़्त के साए
देखें रात कहाँ तक जाए
दीदा-ओ-दिल की बात न पूछो
एक लगाए एक बुझाए
आज ये है मौसम का तक़ाज़ा
ज़ुल्फ़ तिरी खुल कर लहराए
इन आँखों से मोती बरसे
इन होंटों ने फूल खिलाए
देख-भाल कर ज़हर पिया है
सोच-समझ कर धोके खाए
आज वो तन्हा रात कटी है
आँसू तक आँखों में न आए
'सैफ़' ज़माना समझाता है
कौन अपने हैं कौन पराए
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